लेख-निबंध >> शब्द संसार शब्द संसारकैलाश बाजपेयी
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प्रस्तुत है विवेचनात्मक निबन्ध...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
तेजी से बदल रहे इस युग ने मनुष्य को एक ओर तरह-तरह की उपलब्धियों का
आश्वासन दिया है वहीं दूसरी ओर उसे संवेदना के स्तर पर तार-तार कर दिया
है। सूचना और संचार के अराजक विकास के मायाजाल में मनुष्य अदृश्य बेचैनी
से परेशान है।
यह परेशानी किसी एक भाषा या किसी एक देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है। यह कहना बेहतर होगा कि हमारी विश्व-सभ्यता संकट के दौर से गुजर रही है और कई दृष्टियों से दाँव पर लगी हुई हैं। हिन्दी के जाने-माने कवि और चिन्तक कैलाश वाजपेयी ने विश्व की श्रेष्ठ पुस्तकों का चयन कर उनके माध्यम से सभ्यता के इसी संकट को रेखांकित किया है और कई बौद्धिक गुत्थियों के वैचारिक द्वार खोले हैं। ये द्वार कभी हमें अमरीकी कूटनीति, बाजारवादी आक्रामकता, पूँजी की गन्दगी और यौन स्वच्छन्दता के दृश्य की ओर ले जाते हैं तो कभी आभासित यथार्थ, नव-अध्यात्म और मृत्यु के निर्वचन तक पहुँचाते हैं।
पिछले दस-बाहर वर्षों में विश्व-भाषाओं की कोई छह दर्जन श्रेष्ठ पुस्तकों पर लिखे गये ये लेख विचार-वैविध्य और भाषिक भंगिता की दृष्टि से विलक्षणता हैं। आक्टोवियो पाज, पीटर स्मिथ, फ्रांसिस फुसफुसाया जैसे विश्व प्रसिद्ध लेखकों की किताबों पर समीक्षा-लेखों का यह संग्रह हिन्दी के प्रकाशन जगत की महत्त्वपूर्ण घटना है।
इसके माध्यम से पाठक एक बार ऐसी दुनिया से मुलाकात करेंगे जो कदाचित नयी सम्भावनाओं और आशंकाओं को लिये सामने खड़ी है। पाठकों को यह किताब समर्पित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ प्रसन्नता का अनुभव कर रहा है।
यह परेशानी किसी एक भाषा या किसी एक देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है। यह कहना बेहतर होगा कि हमारी विश्व-सभ्यता संकट के दौर से गुजर रही है और कई दृष्टियों से दाँव पर लगी हुई हैं। हिन्दी के जाने-माने कवि और चिन्तक कैलाश वाजपेयी ने विश्व की श्रेष्ठ पुस्तकों का चयन कर उनके माध्यम से सभ्यता के इसी संकट को रेखांकित किया है और कई बौद्धिक गुत्थियों के वैचारिक द्वार खोले हैं। ये द्वार कभी हमें अमरीकी कूटनीति, बाजारवादी आक्रामकता, पूँजी की गन्दगी और यौन स्वच्छन्दता के दृश्य की ओर ले जाते हैं तो कभी आभासित यथार्थ, नव-अध्यात्म और मृत्यु के निर्वचन तक पहुँचाते हैं।
पिछले दस-बाहर वर्षों में विश्व-भाषाओं की कोई छह दर्जन श्रेष्ठ पुस्तकों पर लिखे गये ये लेख विचार-वैविध्य और भाषिक भंगिता की दृष्टि से विलक्षणता हैं। आक्टोवियो पाज, पीटर स्मिथ, फ्रांसिस फुसफुसाया जैसे विश्व प्रसिद्ध लेखकों की किताबों पर समीक्षा-लेखों का यह संग्रह हिन्दी के प्रकाशन जगत की महत्त्वपूर्ण घटना है।
इसके माध्यम से पाठक एक बार ऐसी दुनिया से मुलाकात करेंगे जो कदाचित नयी सम्भावनाओं और आशंकाओं को लिये सामने खड़ी है। पाठकों को यह किताब समर्पित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ प्रसन्नता का अनुभव कर रहा है।
अनहोनी अलायन्स (अपवित्र गठबन्धन)
-डेविड येलपनिषिद्ध नशाः सिद्ध व्यापार
पहले कभी कार्ल मार्क्स ने कहा था कि धर्म लोगों के लिए अफीम का कार्य
करता है। मादक द्रवों के इस युग में सिंक्लेयर ने कहा है कि-अफीम अब लोगों
का धर्म बन गयी है। इस उद्धरण से प्रारम्भ होने वाली डेविड येलप की नवीनतम
कृति ‘अनहोनी एलायन्स’ इन दिनों दुनिया की सबसे अधिक बिकने
वाली किताब है। अब तक इसका अनुवाद चालीस भाषाओं में हो चुका है और आंकड़ों
के अनुसार मार्च 1999 तक इसकी साठ लाख प्रतियाँ बिक चुकी थीं।
डेविड येलप रैल्फ नैडर की तरह सामाजिक न्याय के लिए लड़ते रहे हैं। इससे पहले उनकी ‘टु इन्करेज द अदर्स’, ‘बियांड रीजनेबल डाउट’ ‘डेविलर अस फ्रॉम ईवल’ ‘टु द एण्ड्स ऑफ द अर्थ’ ‘हाउ दे स्टोल द गेम’ तथा ‘इन गाड्स नेम’ आदि कृतियाँ भी चर्चा का विषय रही हैं। खोजपूर्ण पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करना काफी जोखिम भरा काम है। येलप ‘इन गाड्स नेम’ का प्रकाशन जब हुआ तो उसमें प्रकाशित सामग्री ने वेटिकन को हिलाकर रख दिया। ‘इन गॉड्स नेम’ की उन दिनों बीस लाख प्रतियाँ बिकी थीं। डेविड येलप ने अपनी खोजपूर्ण रपट के आधार पर यह सिद्ध किया कि पोप जान पाल की हत्या की गई थी। इसी तरह ‘बियांड रीजनेबल डाउट’ के द्वारा उसने पुलिस को विवश किया कि आर्थर ऐलन टामस की फाइल दोबारा खुलवायी जाय ! येलप के प्रयत्नों का फल यह हुआ कि आजन्म कारागार में सड़ रहे एक युवा की रिहाई सम्भव हो सकी।
सूचना विस्फोट के इस युग में जहाँ एक ओर आम आदमी को यह भ्रम हो चला है कि उसे सब ज्ञात है, वहीं दूसरी ओर यह भी सच है कि अधिकतर लोगों को यह पता नहीं कि असल अपराधी कौन या कि जुझारू पत्रकारों की खोजपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद अपराधी पकड़े क्यों नहीं जाते।
डेविड येलप का कहना है कि होरोइन, मारिजुआना और अफीम जैसे मादक द्रव्यों की चपेट में सिर्फ अमेरिका ही नहीं, पूरे यूरोप, पाकिस्तान, समूचे लातीनी अमेरिका और दक्षिण एशिया के अधिकांश देश आ चुके हैं। इस उद्योग के पास इतनी पूँजी है कि यह रातोंरात दुनिया की तीन बड़ी कम्पनियाँ, जनरल इलेक्ट्रिक रॉयल डच शेल और माइक्रोसाफ्ट को एकबारगी खरीद सकता है। कोकाकोला जैसी कम्पनी जिसकी दस दिन की आमदनी दुनिया के तीन सर्वशक्तिमान बैंकों की कुल पूँजी से अधिक हैं-इस उद्योग के समक्ष बौनी है। मादक द्रवों के व्यापार में संलग्न यह उद्योग पाँच सौ अरब डालर प्रतिवर्ष कमाता और खर्च करता है।
कैसे होता है यह सब ? इसे जानने के लिए यह समझना होगा कि कोई भी समाज किन गतिमानों की मदद से चल रहा है। समाज का पहला एकांत परिवार है। एक पुरुष और स्त्री के सम्बंधों के बनने के पीछे पहला कारण सुरक्षा की भावना और दूसरा कारण आर्थिक है अर्थात रोटी। हालाँकि नृतत्त्वशास्त्रियों का मानना है कि काम, वह वैसर्गिक स्थायी भाव है जिसका कारण पारस्परिकता का जन्म हुआ। आदिम भय मनुष्य को विवश करता है कि वह या तो अज्ञात की शरण में जाए या फिर अकेले रहने के स्थान पर दुकेला हो। विवाह के तत्काल बाद स्त्रियों के सन्दर्भ में कहानी मोड़ ले लेती है। स्त्री विवाह के बाद सुरक्षित तो हो लेती है, मगर पुरुष के शक्तिशाली होने और पितृसत्मात्क समाज में जन्म लेने के कारण, अपने पति की महत्त्वाकांक्षाओं से उद्भूत उद्धतपन को झेलने के लिए विवश हो जाती है। यहीं दोनों के बीच एक तरह की मौन, गुप्त-सन्धि का जन्म होता है। आप चाहें तो इसे भी प्रच्छन्न माफिया कह सकते हैं जिसका नया सदस्य बनता है परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा। स्त्री जिस परिवार से आयी होती है उसकी दुर्बलताएँ छिपाने का बोझ भी उस पर लगातार हावी रहता है। यही कारण है कि वह अपने मायके की निन्दा कभी सहन नहीं कर पाती। यह भी उसी गुप्त-सन्धि का परिमाण है जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं। कई पुरुष, समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए अक्सर अपनी पत्नी को आगे कर देते हैं। पत्नी होने के कारण जाने-अनजाने वह इसमें सहायक भी होती है।
महत्वाकांक्षा एक ऐसा रोग है जो सब पुरुषों में पाया जाता है। हर कोई ऐसा कुछ करना चाहता है कि अमर हो जाए। अमरता की इस ग्रन्थि का उदाहरण इतिहास से लेकर, हम इसे स्पष्ट चाहेंगे। यहूदी नस्ल में जन्में ईसा जब मसीहा हो गये तो कालान्तर में उसी नस्ल में कार्ल मार्क्स और फ्रायड ने भी जन्म लिया। मनस्विदों का कहना है कि मार्क्स ने पहले तो यहूदियों से स्वयं को अलग किया। इसके बाद उनकी धनलोलुपा के ठीक विपरीत जाकर पूँजी को अपने चिन्तन का केन्द्र बनाया ! जानबूझकर धन न कमाने की जीवन-शैली अपनायी। पूंजी पर केन्द्रित उसका चिन्तन अद्वितीय तो है मगर गहरे, बहुत गहरे कहीं वह ईसा को विस्थापित करने की अवचेतना से भी ग्रस्त रहा होगा, ऐसा भी लिखा मिलता है। कार्ल पॉपर ने उसकी जो आलोचना की वह भी इसी ग्रन्थि का हिस्सा थी। अर्थ (कार्ल मार्क्स) और काम (फ्राइड) के माध्यम से धर्म (ईसा) पूरी दुनिया के आकर्षण का केन्द्र तो बना-मार्क्स और फ्रायड अमर भी हो गये- मगर ईसा को दोनों ही स्थानान्तरण नहीं कर पाये।
जो हो, परिवार की यह गुप्त-सन्धि आगे जाकर जाति या वंशधरता का हिस्सा बनती है। सन्धि का एक आधार भाषाई एकता से भी जुड़ा है। मनोविज्ञान के गतिमानों के आधार पर मातृभाषा भी गुप्त सहमति का एक कारण होती है। फिर आती है प्रान्तीयता और अन्त में राष्ट्रीयता। हालाँकि इसी के साथ यह भी सच है कि यह सारा विभाजन सन्धियों के वर्तमान युग में काफी छिन्न-भिन्न हो गया है। आज के युग में सारा खेल शक्ति का है। माओत्से तुंग ने कहा था शक्ति तोप के मुंह में निवास करती है। मगर तोप का गोला भी मुफ्त नहीं मिलता। शक्ति को खरीद सकने की आवश्यकता ने अपराध उद्योग को जन्म और प्रश्रय दिया। तत्काल ऐसा धन, मात्र मादक द्रवों द्वारा कमाया जा सकता है इसलिए कि मादक द्रव हर देश में निषिद्ध हैं। जारज धन सट्टा और लाटरी में भी है मगर अफीम, गाँजा और चरस उद्योग में यह हजारों प्रतिशत के हिसाब से बढ़ता है। सब लोकतान्त्रिक सरकारों को चुनाव जीतने के लिए धन चाहिए और यह धन तभी मिल सकता है जब सरकारें अपराध तन्त्र को प्रश्रय दें। परिणाम यह कि मादक द्रव्य व्यापार, विश्व के दो-तिहाई शासन तन्त्र को खोखला कर अब स्वयं उस पर शासन करने लगा है।
डेविड येलप का कहना है कि चाहे लातीनी अमेरिका का एदुयार्दो हो, चाहे गोदा सिंक्लेयर अथवा फिर कहीं का भी माफिया डान, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकारें अब इन्हीं गिने-चुने लोंगों के इशारों पर बनती-बिगड़ती हैं। आतंकवाद को बढ़वा देना भी अपराध तन्त्र की कार्य योजना का ही अंग है। आतंकवाद को बढ़ावा देना भी अपराध तन्त्र की कार्य योजना का ही अंग है। यह तन्त्र बेकारी के मारे, और अकारण प्रभावित हो जाने वाले नौजवानों को एक आदर्श संहिता या आइडियोलाजी देता उन्हें जरूरत से अधिक धन देकर बार-बार या तो राष्ट्र की रक्षा अथवा फिर धर्म की दुहाई देकर, उन्हें मर मिटने का पाठ पढ़ाता है। उन्हें मादक द्रव्य देता है धन देता है, मारक हथियार चलाने, जगह-जगह बम रखने के साथ ही तस्करी के हथकण्डे भी सिखाता है और इस तरह राष्ट्रनायकों को लगातार भयाक्रांत रखकर उन पर शासन करता है, उन्हें बेवकूफ बनाता है। उपविषस्वापी यानी नार्कोटिक्स का निषिद रहना अपराध उद्योग के पक्ष में जाता है। यही कारण है कि कोकीन का दास न्यूयार्क में आज थोक के हिसाब से हजारों डालर प्रति किलो है। अपराध उद्योग का अपना स्वतन्त्र संघ है जिसमें सीरिया, बर्मा, ईरान, इटली जर्मनी और पाकिस्तान का नाम प्रमुख है। पाकिस्तान का जी डी पी उनतीस प्रतिशत धन इसी अवैध उपविष के कन्धे से प्राप्त करता है।
डेविड येलप के अनुसार एक संस्थान है एनदीनों इंकारपोरेट। यह उद्योग संस्थान अ से ज्ञ तक पाप पंक में डूबा है। भवन निर्माण इसका धन्धा है। इटली के सर्वोत्तम सत्रह होटल एनदीनो के हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ के तेइस व्यापार केन्द्र भी। सत्रह होटल एनदीनो ने फ्रांस के तीन सर्वाधिक ऊँची मीनारों का मालिक भी एनदीनो है। वेंकुवर में तीन सौ अपार्टमेण्ट्स के साथ ही तीस लाख एकड़ में फैले एक जंगल का मालिक भी एनदीनो ही है। वाशिंगटन में एनदीनो के पास पाँच बड़े अपार्टमेण्ट प्रखण्ड और वहाँ का सुप्रसिद्ध होटल रदरफोर्ड भी है। न्यूयार्क में ओएस्टर खाड़ी के किनारे ढाई सौ एकड़ में बने भव्य भवनों की जो श्रृंखला है, वह एनदीनों की ही है। ब्राजील के एक पूरे उपनगर पर एनदीनो का ही आधिपत्य है। इसी तरह लन्दन के मेफेयर, हेम्पस्टेड एवं केनेरी क्षेत्र में बीसियों बड़े भवनों का स्वामी एनदीनों ही है। लन्दन की एक भूगर्भ रेल भी उसी की है।
डेविड येलप के अनुसार यह एनदीनों की मात्र बीस प्रतिशत सम्पत्ति का ब्योरा है। धुनी पत्रकार डेविड येलप अभी तक इतनी ही खोज कर पाया है। अपनी कृति के कारण स्वयं उस पर संकट के बादल मंडराते रहते हैं।
येलप का कहना है कि मादक द्रव्यों का व्यापार जितना खतरनाक है उतना फायदेमन्द भी। येलप का कहना है कि कोकीन, मरुवा और चरस अपने उत्पादन-स्थल से-डेढ़ किलो की बोरियों में चलते हैं। ये बन्द बोरियाँ अपने उत्पादन-स्थल से जब चलती हैं तो हर किलोमीटर पर इसका दाम बढ़ने लगता है। मादक द्रवों के वार्षिक उत्पादन की इन बोरियों को अगर एक के ऊपर एक करके रखा जाए तो इनकी ऊँचाई एवरेस्ट की चोटी से चार गुना ऊपर होगी। इन तीनों के अतिरिक्त पीसीपी, एलएसडी और एम्फेटामइंस भी इसी श्रेणी के मादक द्रव्य हैं।
येलप की इस पुस्तक से यह भी ज्ञात होता है कि इस व्यापार में अब रूस भी शामिल हो गया है। वहाँ इस व्यापार का मार्ग चेचेन्या अजरबेजान और एस्टोनिया के सहयोग से खुल गया है। वहाँ की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस और मेन सिक्योरिटी सर्विस और मेन सिक्योरिटी डायरेक्टर ने अपराध उद्योग को हरी झण्डी दिखा दी है। वहाँ के एण्टन माकोव ने इस समझौते के तहत मन्त्री सुलोव, मन्त्री अकावेव, और एसएसबी के पूर्वाध्यक्ष फिलिप बोबकोव को भी अपने साथ मिला लिया है। इस धन्धे में एक छोर पर अगर एनदीनो इंकारपोरेट के बड़े-बड़े डायरेक्टर हैं तो दूसरे छोर पर है पाब्लो एस्कोबार द रोद्रीगेज ओरेहुयेला, काली भाई, राष्ट्रपति असद के भाई रियाफात, बर्मा का खुन-सा और सिसली (इटली) का स्पातोला परिवार।
इस व्यापार का अर्थतन्त्र इतना मजबूत है कि इसके समक्ष नीदरलैण्ड आस्ट्रेलिया और भारत की अर्थव्यस्था कुछ भी नहीं। इसके बोर्ड के कुछ डायरेक्टर के नाम हैं : मारकोव (रूस) सुलीवान (अमेरिका) विक्टर रोद्रीगेज (कोलम्बिया) और पियर्तों पिकोल्डी (इटली)।
अन्य नामों की खोज डेविड अभी नहीं कर पाया।
इटली में, यह जो, जल्दी-जल्दी सरकारें बनाने-गिराने की एक पम्परा सी चल पड़ी है, इसका कारण यह नहीं कि वहाँ के नागरिक मूलतः लोकतन्त्र के पक्षधर हैं, कारण है मादक द्रव्य अपराध उद्योग अवैध धनराशि।
डेविड येलप रैल्फ नैडर की तरह सामाजिक न्याय के लिए लड़ते रहे हैं। इससे पहले उनकी ‘टु इन्करेज द अदर्स’, ‘बियांड रीजनेबल डाउट’ ‘डेविलर अस फ्रॉम ईवल’ ‘टु द एण्ड्स ऑफ द अर्थ’ ‘हाउ दे स्टोल द गेम’ तथा ‘इन गाड्स नेम’ आदि कृतियाँ भी चर्चा का विषय रही हैं। खोजपूर्ण पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करना काफी जोखिम भरा काम है। येलप ‘इन गाड्स नेम’ का प्रकाशन जब हुआ तो उसमें प्रकाशित सामग्री ने वेटिकन को हिलाकर रख दिया। ‘इन गॉड्स नेम’ की उन दिनों बीस लाख प्रतियाँ बिकी थीं। डेविड येलप ने अपनी खोजपूर्ण रपट के आधार पर यह सिद्ध किया कि पोप जान पाल की हत्या की गई थी। इसी तरह ‘बियांड रीजनेबल डाउट’ के द्वारा उसने पुलिस को विवश किया कि आर्थर ऐलन टामस की फाइल दोबारा खुलवायी जाय ! येलप के प्रयत्नों का फल यह हुआ कि आजन्म कारागार में सड़ रहे एक युवा की रिहाई सम्भव हो सकी।
सूचना विस्फोट के इस युग में जहाँ एक ओर आम आदमी को यह भ्रम हो चला है कि उसे सब ज्ञात है, वहीं दूसरी ओर यह भी सच है कि अधिकतर लोगों को यह पता नहीं कि असल अपराधी कौन या कि जुझारू पत्रकारों की खोजपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद अपराधी पकड़े क्यों नहीं जाते।
डेविड येलप का कहना है कि होरोइन, मारिजुआना और अफीम जैसे मादक द्रव्यों की चपेट में सिर्फ अमेरिका ही नहीं, पूरे यूरोप, पाकिस्तान, समूचे लातीनी अमेरिका और दक्षिण एशिया के अधिकांश देश आ चुके हैं। इस उद्योग के पास इतनी पूँजी है कि यह रातोंरात दुनिया की तीन बड़ी कम्पनियाँ, जनरल इलेक्ट्रिक रॉयल डच शेल और माइक्रोसाफ्ट को एकबारगी खरीद सकता है। कोकाकोला जैसी कम्पनी जिसकी दस दिन की आमदनी दुनिया के तीन सर्वशक्तिमान बैंकों की कुल पूँजी से अधिक हैं-इस उद्योग के समक्ष बौनी है। मादक द्रवों के व्यापार में संलग्न यह उद्योग पाँच सौ अरब डालर प्रतिवर्ष कमाता और खर्च करता है।
कैसे होता है यह सब ? इसे जानने के लिए यह समझना होगा कि कोई भी समाज किन गतिमानों की मदद से चल रहा है। समाज का पहला एकांत परिवार है। एक पुरुष और स्त्री के सम्बंधों के बनने के पीछे पहला कारण सुरक्षा की भावना और दूसरा कारण आर्थिक है अर्थात रोटी। हालाँकि नृतत्त्वशास्त्रियों का मानना है कि काम, वह वैसर्गिक स्थायी भाव है जिसका कारण पारस्परिकता का जन्म हुआ। आदिम भय मनुष्य को विवश करता है कि वह या तो अज्ञात की शरण में जाए या फिर अकेले रहने के स्थान पर दुकेला हो। विवाह के तत्काल बाद स्त्रियों के सन्दर्भ में कहानी मोड़ ले लेती है। स्त्री विवाह के बाद सुरक्षित तो हो लेती है, मगर पुरुष के शक्तिशाली होने और पितृसत्मात्क समाज में जन्म लेने के कारण, अपने पति की महत्त्वाकांक्षाओं से उद्भूत उद्धतपन को झेलने के लिए विवश हो जाती है। यहीं दोनों के बीच एक तरह की मौन, गुप्त-सन्धि का जन्म होता है। आप चाहें तो इसे भी प्रच्छन्न माफिया कह सकते हैं जिसका नया सदस्य बनता है परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा। स्त्री जिस परिवार से आयी होती है उसकी दुर्बलताएँ छिपाने का बोझ भी उस पर लगातार हावी रहता है। यही कारण है कि वह अपने मायके की निन्दा कभी सहन नहीं कर पाती। यह भी उसी गुप्त-सन्धि का परिमाण है जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं। कई पुरुष, समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए अक्सर अपनी पत्नी को आगे कर देते हैं। पत्नी होने के कारण जाने-अनजाने वह इसमें सहायक भी होती है।
महत्वाकांक्षा एक ऐसा रोग है जो सब पुरुषों में पाया जाता है। हर कोई ऐसा कुछ करना चाहता है कि अमर हो जाए। अमरता की इस ग्रन्थि का उदाहरण इतिहास से लेकर, हम इसे स्पष्ट चाहेंगे। यहूदी नस्ल में जन्में ईसा जब मसीहा हो गये तो कालान्तर में उसी नस्ल में कार्ल मार्क्स और फ्रायड ने भी जन्म लिया। मनस्विदों का कहना है कि मार्क्स ने पहले तो यहूदियों से स्वयं को अलग किया। इसके बाद उनकी धनलोलुपा के ठीक विपरीत जाकर पूँजी को अपने चिन्तन का केन्द्र बनाया ! जानबूझकर धन न कमाने की जीवन-शैली अपनायी। पूंजी पर केन्द्रित उसका चिन्तन अद्वितीय तो है मगर गहरे, बहुत गहरे कहीं वह ईसा को विस्थापित करने की अवचेतना से भी ग्रस्त रहा होगा, ऐसा भी लिखा मिलता है। कार्ल पॉपर ने उसकी जो आलोचना की वह भी इसी ग्रन्थि का हिस्सा थी। अर्थ (कार्ल मार्क्स) और काम (फ्राइड) के माध्यम से धर्म (ईसा) पूरी दुनिया के आकर्षण का केन्द्र तो बना-मार्क्स और फ्रायड अमर भी हो गये- मगर ईसा को दोनों ही स्थानान्तरण नहीं कर पाये।
जो हो, परिवार की यह गुप्त-सन्धि आगे जाकर जाति या वंशधरता का हिस्सा बनती है। सन्धि का एक आधार भाषाई एकता से भी जुड़ा है। मनोविज्ञान के गतिमानों के आधार पर मातृभाषा भी गुप्त सहमति का एक कारण होती है। फिर आती है प्रान्तीयता और अन्त में राष्ट्रीयता। हालाँकि इसी के साथ यह भी सच है कि यह सारा विभाजन सन्धियों के वर्तमान युग में काफी छिन्न-भिन्न हो गया है। आज के युग में सारा खेल शक्ति का है। माओत्से तुंग ने कहा था शक्ति तोप के मुंह में निवास करती है। मगर तोप का गोला भी मुफ्त नहीं मिलता। शक्ति को खरीद सकने की आवश्यकता ने अपराध उद्योग को जन्म और प्रश्रय दिया। तत्काल ऐसा धन, मात्र मादक द्रवों द्वारा कमाया जा सकता है इसलिए कि मादक द्रव हर देश में निषिद्ध हैं। जारज धन सट्टा और लाटरी में भी है मगर अफीम, गाँजा और चरस उद्योग में यह हजारों प्रतिशत के हिसाब से बढ़ता है। सब लोकतान्त्रिक सरकारों को चुनाव जीतने के लिए धन चाहिए और यह धन तभी मिल सकता है जब सरकारें अपराध तन्त्र को प्रश्रय दें। परिणाम यह कि मादक द्रव्य व्यापार, विश्व के दो-तिहाई शासन तन्त्र को खोखला कर अब स्वयं उस पर शासन करने लगा है।
डेविड येलप का कहना है कि चाहे लातीनी अमेरिका का एदुयार्दो हो, चाहे गोदा सिंक्लेयर अथवा फिर कहीं का भी माफिया डान, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकारें अब इन्हीं गिने-चुने लोंगों के इशारों पर बनती-बिगड़ती हैं। आतंकवाद को बढ़वा देना भी अपराध तन्त्र की कार्य योजना का ही अंग है। आतंकवाद को बढ़ावा देना भी अपराध तन्त्र की कार्य योजना का ही अंग है। यह तन्त्र बेकारी के मारे, और अकारण प्रभावित हो जाने वाले नौजवानों को एक आदर्श संहिता या आइडियोलाजी देता उन्हें जरूरत से अधिक धन देकर बार-बार या तो राष्ट्र की रक्षा अथवा फिर धर्म की दुहाई देकर, उन्हें मर मिटने का पाठ पढ़ाता है। उन्हें मादक द्रव्य देता है धन देता है, मारक हथियार चलाने, जगह-जगह बम रखने के साथ ही तस्करी के हथकण्डे भी सिखाता है और इस तरह राष्ट्रनायकों को लगातार भयाक्रांत रखकर उन पर शासन करता है, उन्हें बेवकूफ बनाता है। उपविषस्वापी यानी नार्कोटिक्स का निषिद रहना अपराध उद्योग के पक्ष में जाता है। यही कारण है कि कोकीन का दास न्यूयार्क में आज थोक के हिसाब से हजारों डालर प्रति किलो है। अपराध उद्योग का अपना स्वतन्त्र संघ है जिसमें सीरिया, बर्मा, ईरान, इटली जर्मनी और पाकिस्तान का नाम प्रमुख है। पाकिस्तान का जी डी पी उनतीस प्रतिशत धन इसी अवैध उपविष के कन्धे से प्राप्त करता है।
डेविड येलप के अनुसार एक संस्थान है एनदीनों इंकारपोरेट। यह उद्योग संस्थान अ से ज्ञ तक पाप पंक में डूबा है। भवन निर्माण इसका धन्धा है। इटली के सर्वोत्तम सत्रह होटल एनदीनो के हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ के तेइस व्यापार केन्द्र भी। सत्रह होटल एनदीनो ने फ्रांस के तीन सर्वाधिक ऊँची मीनारों का मालिक भी एनदीनो है। वेंकुवर में तीन सौ अपार्टमेण्ट्स के साथ ही तीस लाख एकड़ में फैले एक जंगल का मालिक भी एनदीनो ही है। वाशिंगटन में एनदीनो के पास पाँच बड़े अपार्टमेण्ट प्रखण्ड और वहाँ का सुप्रसिद्ध होटल रदरफोर्ड भी है। न्यूयार्क में ओएस्टर खाड़ी के किनारे ढाई सौ एकड़ में बने भव्य भवनों की जो श्रृंखला है, वह एनदीनों की ही है। ब्राजील के एक पूरे उपनगर पर एनदीनो का ही आधिपत्य है। इसी तरह लन्दन के मेफेयर, हेम्पस्टेड एवं केनेरी क्षेत्र में बीसियों बड़े भवनों का स्वामी एनदीनों ही है। लन्दन की एक भूगर्भ रेल भी उसी की है।
डेविड येलप के अनुसार यह एनदीनों की मात्र बीस प्रतिशत सम्पत्ति का ब्योरा है। धुनी पत्रकार डेविड येलप अभी तक इतनी ही खोज कर पाया है। अपनी कृति के कारण स्वयं उस पर संकट के बादल मंडराते रहते हैं।
येलप का कहना है कि मादक द्रव्यों का व्यापार जितना खतरनाक है उतना फायदेमन्द भी। येलप का कहना है कि कोकीन, मरुवा और चरस अपने उत्पादन-स्थल से-डेढ़ किलो की बोरियों में चलते हैं। ये बन्द बोरियाँ अपने उत्पादन-स्थल से जब चलती हैं तो हर किलोमीटर पर इसका दाम बढ़ने लगता है। मादक द्रवों के वार्षिक उत्पादन की इन बोरियों को अगर एक के ऊपर एक करके रखा जाए तो इनकी ऊँचाई एवरेस्ट की चोटी से चार गुना ऊपर होगी। इन तीनों के अतिरिक्त पीसीपी, एलएसडी और एम्फेटामइंस भी इसी श्रेणी के मादक द्रव्य हैं।
येलप की इस पुस्तक से यह भी ज्ञात होता है कि इस व्यापार में अब रूस भी शामिल हो गया है। वहाँ इस व्यापार का मार्ग चेचेन्या अजरबेजान और एस्टोनिया के सहयोग से खुल गया है। वहाँ की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस और मेन सिक्योरिटी सर्विस और मेन सिक्योरिटी डायरेक्टर ने अपराध उद्योग को हरी झण्डी दिखा दी है। वहाँ के एण्टन माकोव ने इस समझौते के तहत मन्त्री सुलोव, मन्त्री अकावेव, और एसएसबी के पूर्वाध्यक्ष फिलिप बोबकोव को भी अपने साथ मिला लिया है। इस धन्धे में एक छोर पर अगर एनदीनो इंकारपोरेट के बड़े-बड़े डायरेक्टर हैं तो दूसरे छोर पर है पाब्लो एस्कोबार द रोद्रीगेज ओरेहुयेला, काली भाई, राष्ट्रपति असद के भाई रियाफात, बर्मा का खुन-सा और सिसली (इटली) का स्पातोला परिवार।
इस व्यापार का अर्थतन्त्र इतना मजबूत है कि इसके समक्ष नीदरलैण्ड आस्ट्रेलिया और भारत की अर्थव्यस्था कुछ भी नहीं। इसके बोर्ड के कुछ डायरेक्टर के नाम हैं : मारकोव (रूस) सुलीवान (अमेरिका) विक्टर रोद्रीगेज (कोलम्बिया) और पियर्तों पिकोल्डी (इटली)।
अन्य नामों की खोज डेविड अभी नहीं कर पाया।
इटली में, यह जो, जल्दी-जल्दी सरकारें बनाने-गिराने की एक पम्परा सी चल पड़ी है, इसका कारण यह नहीं कि वहाँ के नागरिक मूलतः लोकतन्त्र के पक्षधर हैं, कारण है मादक द्रव्य अपराध उद्योग अवैध धनराशि।
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